View cart “कथक : कुछ बातें, कुछ यादें ” has been added to your cart.

देशाटन  कैमरे की आँख से देश दर्शन

  • कैमरे की आँख से देश-दर्शन है यह पुस्तक ‘देशाटन’। इस पुस्तक में कला, संस्कृति, इतिहास और आस्था से जुड़े पर्यटक स्थलों की झाँकी भी है और ऐतिहासिक तथा पुरातात्त्विक केन्द्रों की सैर भी।
  • यह पुस्तक वृत्तचित्रों के आलेखों का एक संग्रह हैं। आलेखों के साथ फोटोज़ और इमेजेज़ को भी प्रकाशित किया गया है ताकि विजुअल प्रभाव बना रहे।

499.00

आज़ादी के दिनों की बातें

वे कौन-कौन साहसी थे जिन्होंने विदेशी धरती पर जाकर ब्रिटिशराज की सत्ता को उखाड़ फैंकने लिए ठोस प्रयास शुरू किये और अपनी कुर्बानी देने से भी नहीं हिचके?
वे कौन थे जिन्होंने ब्रिटेन के मूल निवासियों को भी भारत की आज़ादी के आन्दोलन में समर्थन देने के लिए तैयार कर लिया था?

349.00

अटल संदेश (युगपुरुष श्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रेरक विचार)

पुस्तक से — अटल जी ने हिन्दुत्व की व्याख्या करते हुए 31 दिसंबर, 2002 को गोवा में कहा था ‘‘हिन्दुत्व संपूर्ण सृष्टि को समग्र रूप से समझने की दृष्टि है जो इस लोक तथा परलोक, दोनों के लिए रास्ता दिखाता है। यह व्यक्ति और समाज तथा मनुष्य की भौतिक तथा आध्यात्मिक जरूरतों के बीच अटूट संबंधों पर बल देता है। हिन्दुत्व उदार है, उदात्त है, मुक्त गामी है। यह किसी भी आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच कोई दुर्भावना, घृणा अथवा हिंसा को बर्दाश्त नहीं करता।’’

 

 

150.00

21 in stock

अटल जी ने कहा (भाषणों का संकलन)

‘अटलजी ने कहा’, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रामाणिक और प्रेरणादायी भाषणों का संकलन है। यह पुस्तक राष्ट्र निर्माण में लगे शिक्षकों, राजनीतिक विचारकों, प्रशासन और शासनकर्ताओं आदि के मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

पुस्तक से महत्वपूर्ण वाक्यांश : जो सरकार ठीक काम नहीं करेगी और लोगों को परेशान करेगीे, लोगों के साथ ज्यादती करेगी, लोगों के साथ भेदभाव करेगी, चुनाव आएगा, वोट डाले जाएंगे और उस सरकार का बिस्तर गोल कर दिया जाएगा।

विशेष: अटल बिहारी वाजपेयी  के प्रामाणिक और प्रेरणादायी भाषणों का संकलन ‘अटल जी ने कहा’ का लोकार्पण  शुक्रवार 24 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली के राजस्थान भवन में किया गया था।

1,500.00

21 in stock

कथक : कुछ बातें, कुछ यादें 

उत्तर भारत के शास्त्रीय नृत्य ‘कथक’ से संबंधित लेखों, साक्षात्कारों, रिपोर्टों आदि का संग्रह है ‘कथक कुछ बातें, कुछ यादें’।

इस संग्रह में संकलित रचनाओं का प्रकाशन सन् 1978 से 1985 के बीच हुआ था। कुछ रचनाएं ऐसी भी है जो प्रकाशित नहीं हुई थी, उन्हें भी संग्रह में शामिल किया गया है। इनमें सुप्रसिद्ध नृत्यांगना एवं नृत्य-संरचनाकार श्रीमती कुमुदिनी लाखिया, शास्त्रीय नृत्यों के शोधकर्ता समीक्षक और विचारक डॉ. सुनील कोठारी तथा संस्कृति संरक्षक श्रीमती सुमित्रा चरतराम के साक्षात्कार हैं।

पुस्तक में प्रकाशित रचनाएं दो अलग-अलग काल खंडों को जोड़ती हैं। इन रचनाओं को पढ़कर कथक में रुचि रखने वाले रसिकों और कलाकारों को कथक नृत्य के विकास की प्रक्रिया को समझने का अवसर मिलेगा।

 

249.00

8 in stock

सांझ से पहले (कविताएँ)

इन गीत-कविताओं में ‘आंतरिक भाव-सघनता’ और एक उदास कवि लगातार मौजूद रहता है। यह कवि कई तरह स्वयं को अभिव्यक्त करता है लेकिन अपनी कविता में वह अ-शालीन नहीं होता है, उस समय भी नहीं जब वह दुनिया के ‘बाजारू-व्यवहार’ पर खिन्न या नाराज होता है।

संग्रह की 54वीं कविता ‘रहनुमा’ में नाराज होता कवि शब्द-विस्तार कर सकता था, आवेग को बाजारू भाषा के हल्के मनोरंजक पायदानों तक ला सकता था किन्तु वह ठगे गये नागरिक को इतना ही भला-बुरा कहता है:

मत अफसोस करो
निपट नंगे हो जाने का,
कि वो निकल लिए पिछले दरवाजे से
तुम्हारे रहनुमा होने का स्वांग रचकर
और तुम खर्राटे भरते रहे,
ख्वाबों में मनाते रहे उत्सव,
झूमते रहे दिवास्वप्न के उल्लास में।

ब्रजेन्द्र की इस संकलन की कविताएँ कुछ ठिठकी हुई, आज की हिन्दी कविताओं से काफी फासले पर खड़ी या कुछ उदास दिनों की छाया में बैठी है।
इन कविताओं में वे सारी संभावनाएं निहित हैं जो फिर एक कवि को यश के दीपित शिखर तक ले जा सकती हैं।
                                                                                                                                                                                            – नन्द चतुर्वेदी

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹175.00.

5 in stock

सांझ से पहले (कविताएँ)

Original price was: ₹200.00.Current price is: ₹175.00.

बस यही तो.. (कहानियाँ)

…..बृजेन्द्र रेही की इन कहानियों में आया प्रेम इतना कोमल, इतना मासूम है कि हमारे अंतस को भिगो देता है | स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित ये कहानियाँ कल्पनाओं, इच्छाओं, उम्मीदों, भावनाओं और बनते-बिगड़ते रिश्तों के ताने-बाने से बुनी गई हैं जो हमें उस खूबसूरत मोड़ पर ले जाकर खड़ा कर देतीं हैं जहाँ से हमें आगे बढ़े एक युग बीत गया है परंतु जो मधु-तिक्त स्मृतियों के रूप में हमारे भीतर समाया हुआ है | कुल मिलाकर ‘बस यही तो…’ संग्रह की कहानियाँ अपने कथापन, सहज प्रस्तुति, संदेशपरकता और रोचकता के चलते पठनीय हैं |  – माधव नागदा

 

Read on Google Play Store

199.00

20 in stock